हिन्दू- मुसलमान : मरने के बाद कैसे होता है अंतिम संस्कार। किसी को जलाते हैं तो किसी को करते हैं दफ़न। आप भी जानकर हो जाएंगे हैरान।

ऐसी मान्यताएं हैं कि मनुष्य का शरीर पांच तत्वों - आग, पानी, हवा, आकाश और धरती - से मिलकर बना होता है। जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा शरीर से निकल जाती है, लगभग हर धर्म में आत्मा के अमर होने की बात पर एक मत है। मृत्यु के बाद केवल शरीर रह जाता है, जिसे इन पांच तत्वों में वापस मिलाना होता है।

Sep 20, 2024 - 22:33
Sep 20, 2024 - 22:34
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हिन्दू- मुसलमान : मरने के बाद कैसे होता है अंतिम संस्कार। किसी को जलाते हैं तो किसी को करते हैं दफ़न। आप भी जानकर हो जाएंगे हैरान।
हिन्दू- मुसलमान : मरने के बाद कैसे होता है अंतिम संस्कार। किसी को जलाते हैं तो किसी को करते हैं दफ़न। आप भी जानकर हो जाएंगे हैरान।

विश्व भर में कई तरह कि धार्मिक मान्यतायें हैं। अलग अलग क्षेत्रों कि अलग अलग सांस्कृतिक विविधताओं की झलक हर क्षेत्र में देखने को मिलती हैं। सभी धर्मों कि अलग अलग धार्मिक रीति रीवाज होती हैं उनमें सबसे महत्वपूर्ण है मृत्यु के बाद किस धर्म में किस तरह अंतिम संस्कार किस तरह से होता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि मनुष्य का शरीर पांच तत्वों - आग, पानी, हवा, आकाश और धरती - से मिलकर बना होता है। जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा शरीर से निकल जाती है, लगभग हर धर्म में  आत्मा के  अमर होने की बात पर एक मत है। मृत्यु के बाद केवल शरीर रह जाता है, जिसे इन पांच तत्वों में वापस मिलाना होता है। यहाँ जानने की कोशिश करते हैं हिन्दू और इस्लाम के मानने वालों का मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किस तरह होता है।  
 
इस्लाम :
पुरे विश्व में लगभग 98 देशों में इस्लाम धर्म के मानने वालों का बोलबाला है।  अधिकतर अरब देशों में इस्लामी परम्पराएं हावी हैं।  तो अब यह भी जानना ज़रूरी है कि इस्लाम के मानने वालों की जब मृत्यु होती है तो उनका अंतिम संस्कार किस तरह किया जाता है।  इस्लाम के मानने वालों की मान्यता यह है कि इंसान की मौत के बाद रूह (आत्मा) ऊपर चली जाती है।  इस्लामी मान्यता के अनुसार  मृतक का जयंती जल्दी हो सके उसका अंतिम संस्कार कर देना चाहिए।  ऐसा ऐसा कहा जाता है कि मुर्दा का अंतिम संस्कार करने में जितनी देरी होती है उतनी अधिक तकलीफ होती है।  

अंतिम संस्कार की प्रक्रिया आम तौर पर इस प्रकार होती है: 
परिवार या करीबी दोस्त शव को नहलाते  (ग़ुसल)  हैं और साफ़ कपड़े या कफ़न में लपेटते हैं।  शव को ताबूत के बिना दफ़नाया जाता है, अगर यह संभव न हो तो सादे ताबूत का इस्तेमाल किया जाता है। कब्र को इस तरह से संरेखित किया जाता है कि मरने वाले व्यक्ति का शरीर पवित्र शहर मक्का की ओर मुंह करके दाहिनी ओर हो।  शव के ऊपर  मिट्टी न गिरने पाए इसलिए क़ब्र पर  लकड़ी या पत्थर बिछाए जाते हैं। प्रत्येक शोक-संतप्त व्यक्ति द्वारा कब्र में तीन मुट्ठी मिट्टी डाली जाती है।  

अंतिम संस्कार में ये बातें ध्यान में रखी जाती हैं: 
अंतिम संस्कार आम तौर पर इमाम द्वारा संचालित किया जाता है. 
सभी लोग मक्का की ओर मुंह करके कम से कम तीन पंक्तियों में खड़े होकर नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ते हैं। नमाज़ ए जनाज़ा के बाद शव को दफ़न किया जाता है। मरने वालों के लिए जितना हो सके क़ुरआन पढ़कर सवाब पहुँचाया जाता है।    

हिन्दू :
भारत हिन्दू धर्म के मानने वालों का सबसे बड़ा  देश है।  भारत के लगभग 80 प्रतिशत लोग  हिंदू धर्म के मानने वाले हैं।  मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार को दाह संस्कार या अंत्येष्टि कहते हैं।  यह 16 हिंदू धर्म संस्कारों में से एक है। 
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़ी कुछ बातें: 
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मृतक के शरीर को सबसे पहले गंगा जल से स्नान कराया जाता है। आम तौर पर, शव को नहला धुला कर कफ़न पहना कर  लकड़ी के ढेर पर रखकर अग्नि की चिता पर जलाया जाता है। 
शव को जलाने से पहले, परिवार या निकटतम रिश्तेदार को अनुमति देनी चाहिए।  
शवदाह के बाद, मृतक की अस्थियों को जमा किया जाता है और आमतौर पर गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है। 
अंतिम संस्कार से पहले, कई हिंदू अपने प्रियजन के पास चावल के गोले रखते हैं।  
अंतिम संस्कार के दौरान, परिवार अपने प्रियजन के सिर के पास दीपक रखता है या उन पर पानी छिड़कता है।  
अंतिम संस्कार के बाद, शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए पुजारी बताते हैं कि मृत्यु के संबंध में हिंदू मान्यताएं क्या हैं और मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है। अंतिम संस्कार के बाद 13 दिनों तक शोक की गहन अवधि चलती है। माना जाता है कि मरने वाले व्यक्ति का निकटतम परिवार एक साल तक शोक में रहता है।

आम तौर पर भारत में इन दोनों धार्मिक परंपराओं का बोबलाला है।  इस धर्मों के बीच बहुत साड़ी भिन्नताएं हैं मगर इनकी आपसी मेल जॉल और भाईचारा भी दुनिया के लिए एक मिसाल है। हमारी हज़ारों साल पुरानी साझी विरासत ही हमें महान बनाती है।    

(नोट - यह लेख जानकारी के आधार पर लिखा गया है )

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