बाबा सिद्दीक़ी- बुझ गया मोहब्बत का चराग़।
लॉरेंस बिश्नोई गुजरात के साबरमती जेल से मुल्कभर में गैंग चला रहा है। जिसे चाहे मरवा दे रहा है, जिसे चाहे शिकार बना ले रहा है। वो जेल से बाहर भी नहीं आना चाहता, उसने ज़मानत के लिए कभी अपील भी नहीं की। रंगदारी से मिले पैसे वो कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया भेजता है।

नदीम अहमद
12 अक्टूबर की रात को क़रीब 9 बजकर 40 मिनट पर अपने दफ़्तर से घर पहुंचा। रोज़ाना की तरह बच्चे ने मोबाइल ले लिया। हमेशा की तरह बच्चे के सोने के बाद क़रीब साढ़े ग्यारह बजे मोबाइल खोला तो देखा के बाबा सिद्दीक़ी की शूटर्स ने जान ले ली। सनसनी ख़बरों को देखते देखते दो बज गए जो मेरे मामूल से दो घंटे ज़्यादा थे। आमतौर पर मैं 12 बजे सो जाता हूं लेकिन उस रात ख़बर देखने के बाद फिर जल्दी नींद नहीं आई।
बाबा सिद्दीक़ी को बहुत ज़्यादा नहीं जानता था मगर हर साल रमज़ान के महीने में उनसे जुड़ी ख़बरें ज़रूर देखता था। एक हसंता-खिलखिलाता चेहरा हर साल इफ़्तार पार्टी करता था। बॉलीवुड की बड़ी-बड़ी हस्तियां इसी बहाने एक दूसरे के क़रीब आती थीं। शाहरुख़-सलमान की नफ़रत को मिटाने वाला इंसान भी बाबा सिद्दीक़ी ही थे। बस इतना ही जानता था बाबा सिद्दीक़ी को।
लेकिन इत्तेफ़ाक़ देखिए, ऐसे हंसते-खिलखिलाते इंसान की जान ले ली गई। एक मोहब्बत की दुकान को हमेशा के लिए बंद कर दी गई। बाबा सिद्दीक़ी के बग़ैर अब मुंबई की इफ़्तार पार्टी सूनी रहेगी। मोहब्बत के चराग़ जलाने वाले की कमी का एहसास उनके परिवार से बेहतर कोई नहीं महसूस कर सकेगा।
अब खेल देखिए, बाबा सिद्दीक़ी के क़त्ल का इल्ज़ाम जिस मुल्ज़िम पर लग रहा है वो 33 साल का लॉरेंस बिश्नोई है, जिसपर NIA के मुताबिक़ 84 FIR दर्ज हैं। जिसने सिंगर मूसेवाला का क़त्ल किया है, जिसने करणी सेना के चीफ़ गोगामेड़ी का क़त्ल किया है, जिसने पाकिस्तान से समंदर के रास्ते ड्रग तस्करी की है, जिस पर सलमान ख़ान को धमकी और घर पर फायरिंग की साज़िश का इल्ज़ाम है। वो जेल में बैठ कर ऐसा कैसे कर सकता है?
लॉरेंस बिश्नोई गुजरात के साबरमती जेल से मुल्कभर में गैंग चला रहा है। जिसे चाहे मरवा दे रहा है, जिसे चाहे शिकार बना ले रहा है। वो जेल से बाहर भी नहीं आना चाहता, उसने ज़मानत के लिए कभी अपील भी नहीं की। रंगदारी से मिले पैसे वो कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया भेजता है। मुल्क के आगे लॉरेंस बिश्नोई इतना ताक़तवर कैसे हो सकता है ये समझ से पर्रे है।
ये सब तब हो रहा है जब मुल्क में सरकार सख़्त क़ानूनी निज़ाम होने का दावा करती है, मज़बूत क़ानून है, अदालत है, मज़बूत निज़ाम है, आईबी है, सीबीआई है, सीआईडी है, रॉ है, एनएसए है. लेकिन एक गैंगस्टर के आगे सब बेबस ha लाचार है। मीडिया में बाबा सिद्दीक़ी के क़त्ल की चर्चा ख़ूब हो रही है लेकिन अबतक कहीं से ये ख़बर नहीं आई के इस गैंगस्टर से भी किसी तरह की पूछताछ होगी। क्या लॉरेंस बिश्नोई के सामने मुल्क की हुकूमत ने घुटने टेक दिए हैं या वजह कोई और है?
यहां दिलचस्प ये भी है के, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और मथुरा पुलिस के जॉइंट ऑपरेशन में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटर योगेश को गिरफ्तार किया गया है, जो पुलिस की मौजूदगी में कैमरे पर कहता है, ''बाबा सिद्दीकी कोई अच्छा आदमी नहीं था, उस पर मकोका का केस लगा हुआ था। मकोका आम आदमी पर नहीं लगता। अब कोई बीच में आएगा तो कुछ न कुछ तो होगा ही।
लेकिन सवाल ये है के मकोका तो कई दर्जनों लोगों पर लगे हैं, गैंगस्टर तो दर्जनों लोग हैं, अच्छा आदमी होने का पैमाना एक गैंगस्टर कैसे तय कर सकता है?
मुल्क की मीडिया इस गैंगस्टर को 'डी गैंग' से बड़ा बताने में लगी है । मीडिया के मुताबिक़, लॉरेंस बिश्नोई की नज़र गुजरात की जेल से मुंबई पर है। उस मुंबई पर जहां 90 की दहाई तक दाऊद इब्राहिम एक बड़ा डॉन बन चुका था। लेकिन 2008 आते-आते मुंबई अंडरवर्ल्ड के नासूर से उबर चुका था। अब ख़बर यही है कि वो मुंबई का बड़ा डॉन बनना चाहता है, तो क्या हुकूमत भी ऐसा ही चाहती है ?
लेकिन सवाल ये है के जेल में तो अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली, छोटा राजन, अबू सलेम, बंटी पांडेय, रवि पुजारी, छोटा शकील जैसे गैंगस्टर भी हैं। तो फिर भला लॉरेंस बिश्नोई ही क्यों जेल से अपनी दुनिया चला रहा है ?
सवाल ये है के बाबा सिद्दीक़ी का क़ातिल क्या वाक़ई में लॉरेंस बिश्नोई है या ये सिर्फ़ एक चेहरा है?, कहीं इसके पीछे कोई बड़ी सियासी साज़िश तो नहीं है, क्यूंकि लॉरेंस गैंग की तरफ से सोशल मीडिया पर जब भी कोई पोस्ट डाला जाता है, उसमें जय श्रीराम लफ़्ज़ का इस्तेमाल कसरत से किया जाता है।
(लेखक के निजी विचार हैं, लेखक ज़ी मीडिया ग्रुप में पत्रकार हैं )
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