मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर को सुप्रीम फटकार। मानहानि मामले में एक लाख का जुर्माना भी लगाया।

सुप्रीम कोर्ट ने मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर फ़िरोज़ अहमद बख़्त को एक मानहानि मामले में सख़्त फटकार लगायी है साथ ही साथ एक लाख रूपए का जुर्माना भी अदा करने का दिया है आदेश ।

Oct 18, 2024 - 10:13
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मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर को सुप्रीम फटकार। मानहानि मामले में एक लाख का जुर्माना भी लगाया।
सुप्रीम कोर्ट (फ़ाइल फोटो)

हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के पूर्व चांसलर फ़िरोज़ अहमद बख़्त के खिलाफ दायर मानहानि का मामला रद्द करते हुए यह फ़ैसला दिया कि शिकायतकर्ता को 1 लाख रुपये देने के साथ तेलंगाना के बड़े अख़बार में माफीनामा प्रकाशित करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला 

सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानू) के पूर्व चांसलर फिरोज अहमद बख़्त के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला रद्द कर दिया और उन्हें इस संबंध में स्थानीय समाचार पत्र के पहले पन्ने पर "बड़े अक्षरों" में बिना शर्त माफ़ी प्रकाशित करने का निर्देश दिया है। 

दरअसल फ़िरोज़ बख़्त ने मानु के स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म के पूर्व डीन, प्रोफेसर एहतेशाम अहमद खान के खिलाफ "यौन शोषण" को लेकर टिप्पणी की थी गौर तलब है कि कोर्ट ने फ़िरोज़ बख्त के बेतुके आरोपों के कारण प्रोफेसर एहतेशाम को हुई मानसिक पीड़ा के लिए कोर्ट ने 4 सप्ताह के भीतर 1 लाख रुपये का प्रतीकात्मक हर्जाना देने का आदेश दिया है।

क्या था आरोप 

2018 में फिरोज बख़्त ने तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में दो छात्राओं के यौन उत्पीड़न और अपमान के आरोपों के संबंध में प्रोफेसर एहतेशाम अहमद पर इल्ज़ाम लगाया था। जिस पर प्रोफेसर एहतेशाम अहमद ने फिरोज बख़्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के बावजूद बख़्त के द्वारा ये टिप्पणियां की गईं।

मानू युनिवर्सिटी के छात्रों की प्रतिक्रिया।

मानू के छात्रों के अनुसार किसी पर भी आरोप लगाने से पहले ये सोचना चाहिए की हम किस पर आरोप लगा रहे हैं। वही एक छात्र का कहना था की फैसला देर आया लेकिन दुरुस्त आया है, एक और छात्र का कहना था की ये पूरा मामला एक प्रोपगेंडा था एक अच्छे इंसान को फंसाने के लिए लगाया गया आरोप था । प्रो.एहतेशाम अहमद खान के विभाग की एक छात्रा कहती हैं कि हम तो उनसे पढ़ते हैं वो अपनी बेटी की तरह सारी लड़कियों को देखते हैं। हमें कभी ऐसा कुछ नही लगा बल्कि ये आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं।

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