क्या बीजेपी सचमुच नीतीश कुमार की सियासी पारी खत्म करना चाहती है?
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज है। चर्चाएँ हैं कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले "रास्ते से हटाने" की रणनीति बना रही है। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की सियासत के केंद्र में हैं।
पटना, 23 अगस्त 2025
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज है। चर्चाएँ हैं कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले "रास्ते से हटाने" की रणनीति बना रही है। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की सियासत के केंद्र में हैं। लेकिन क्या बीजेपी वाकई नीतीश को साइडलाइन करना चाहती है, या यह महज सियासी अटकलें हैं ?
बीजेपी और नीतीश: सहयोगी या प्रतिद्वंद्वी?
बीजेपी नीतीश को एनडीए का चेहरा घोषित करती है, लेकिन कुछ नेताओं के बयान संदेह पैदा करते हैं। नीतीश ने बार-बार कहा कि वह अब एनडीए के साथ ही रहेंगे, लेकिन उनकी चुप्पी सवाल उठाती है।
चुनावी रणनीति
बीजेपी बिहार में अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है और स्वतंत्र रूप से सरकार बनाने की इच्छा रखती है। वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार अपनी पार्टी और व्यक्तिगत छवि को मज़बूत रखना चाहते हैं, खासकर लव-कुश वोटरों के बीच।
नेतृत्व का सवाल
बीजेपी के कुछ नेता, जैसे अमित शाह, नीतीश के नेतृत्व पर संसदीय बोर्ड की मंजूरी का शर्त रखते हैं। लेकिन नीतीश चाहते हैं कि बिहार में उनका नाम ही प्रमुख रहे, जैसा कि जेडीयू के पोस्टरों में अक्सर दिखता है। लेकिन नीतीश कुमार ने हाल ही में पहले की तरह यह साफ़ कर दिया है कि वह दो बार "गलती" करचुके हैं मगर अब ऐसी गालयी की कोई गुंजाईश नहीं है। वह अब हमेशा एनडीए के साथ ही रहेंगे।
बीजेपी अति पिछड़ा वर्ग और गैर-यादव ओबीसी वोटों को साधने की कोशिश में है। नीतीश का लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) वोट बैंक उनकी ताकत है, जिसे बीजेपी ने सम्राट चौधरी के माध्यम से अपनी तरफ करने की लगातार कोशिश करने में लगी हुई है।
बीजेपी की रणनीति: नीतीश को हटाना या सहयोग बनाए रखना?
नीतीश को हटाने की अटकलें:
विजय सिन्हा का बयान: बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने दिसंबर 2024 में कहा था कि बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को पूरा करते हुए बिहार में अपनी सरकार बनाएगी। हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई दी कि नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में एक बार फिर सरकार का गठन किया जायेगा।
अमित शाह का रुख: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश के नेतृत्व को संसदीय बोर्ड की मंजूरी से जोड़ा, जिसे जेडीयू ने दबाव की रणनीति माना। वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजरस अपनी पोस्ट्स में दावा किया गया है कि बीजेपी नीतीश को "बंधुआ मुख्यमंत्री" बनाकर रखना चाहती है और 2025 में उनकी जगह अपने नेता को लाना चाहती है।
नीतीश को बनाए रखने की मजबूरी:
वोट बैंक का महत्व: नीतीश का लव-कुश वोट बैंक और अति पिछड़ा वर्ग में उनकी पकड़ बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की 12 सीटें एनडीए की जीत में अहम थीं।
केंद्र में स्थिरता: बीजेपी को केंद्र में सरकार चलाने के लिए नीतीश और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगियों की जरूरत है, क्योंकि वह बहुमत से 32 सीटें पीछे है।
सार्वजनिक समर्थन: बीजेपी नेताओं जैसे गिरिराज सिंह और दिलीप जायसवाल ने नीतीश को समर्थन देने की बात दोहराई है, और कुछ बीजेपी नेताओं ने तो नीतीश कुमार के लिए भारत रत्न तक की मांग कर डाली है।
नीतीश की स्थिति: मजबूत या कमजोर?
नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान कहा कि उन्होंने दो बार गलती की थी (2014 और 2022 में एनडीए छोड़कर), लेकिन अब वह स्थायी रूप से एनडीए के साथ रहेंगे। हालांकि, उनकी खामोशी और बीजेपी मंत्रियों की सरकारी बैठकों में गैरमौजूदगी ने सवाल खड़े किए हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी नीतीश को कमजोर कर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए।
विशेषज्ञों की राय
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि"बीजेपी नीतीश को जरूरत भी मानती है और बेचैनी का कारण भी। उनकी सियासी ताकत को कम करने की कोशिश हो रही है, लेकिन बिना नीतीश के बीजेपी का बिहार में अकेले जीतना मुश्किल है।
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