जदयू नेता कब्रिस्तान की ज़मीन पर ज़बरदस्ती बनाना चाहते हैं स्कूल, जदयू नेता पर क़ब्रिस्तान की ज़मीन हड़पने का लगा आरोप।
बेदारी कारवां ने जदयू नेता पर मुसलमानों को गाली देने और क़ब्रिस्तान की ज़मीन हड़पने का लगाया जा रहा है आरोप।प्रशासन पर भी झूठे मुक़दमे करने का लगा आरोप। कारवाँ के अध्यक्ष अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ नरहिया गांव पहुंचे और लोगों से की मुलाकात

मधुबनी (प्रेस विज्ञप्ति) मधुबनी जिले के घोघरडीहा प्रखंड के मौजा भपटियाही पंचायत के छजना गांव स्थित सखुआ कब्रिस्तान का मामला फिलहाल काफी तूल पकड़ता जा रहा है । कब्रिस्तान की जमीन पर बिहार सरकार द्वारा स्कूल बनाने को लेकर जिला प्रशासन और मुसलमानों के बीच विवाद चल रहा है। प्रशासन द्वारा जबरन कब्रिस्तान की जमीन पर स्कूल का निर्माण शुरू कराने पर जब मुसलमानों ने आपत्ति दर्ज कराई तो पुलिस ने न सिर्फ लाठियां चटकाई बल्कि 55 लोगों को नामजद और 250 अज्ञात लोगों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर गिरफ़्तारी भी शुरू कर दी गयी है। हैरान करने वाली बात ये है कि मोहम्मद गुफरान नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। गुफरान एक वृद्ध हैं। गुफरान की गिरफ्तारी पर स्थानीय लोगों का कहना है कि गुफरान को झूठे मुक़दमे में इसलिए गिरफ्तार किया गया कि उसने जनता के सामने जदयू नेता संजय झा की असलियत को उजागर कर दिया। पिछले दिनों कब्रिस्तान पर जबरन स्कूल बनाने के मामले को लेकर मोहम्मद गुफरान ने संजय झा से मुलाकात की थी और उन्होंने अपनी बातें बताईं। जिस पर संजय झा ने न सिर्फ मोहम्मद गुफरान बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान किया
बेदारी कारवाँ का प्रतिनिधिमंडल जब नरहिया गांव पहुंचा तो विस्तृत जानकारी मिली और लोगों ने बताया कि नरहिया बाजार के मुसलमानों का सखुआ कब्रिस्तान पर सदियों से कब्जा है। इस कब्रिस्तान में हजारों लोगों को दफनाया गया है और अब भी मुर्दा को इसी क़ब्रिस्तान में दफनाया जाता है। जो लोग दुनिया छोड़कर चले जाते हैं उन्हें भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार जदयू नेत्री शिलामंडल व संजय झा के इशारे पर सखुआ कब्रिस्तान पर बालिका विद्यालय व छात्रावास भवन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये दोनों नेता लगातार स्थानीय प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। 1965 में, इसी कब्रिस्तान की 4.99 डिसमल भूमि को फौजी राम भीषण रॉय ने अपने नाम से आवंटित करवा लिया था तो स्थानीय नरहिया बाजार निवासी अब्दुल हई पयामी द्वारा तत्कालीन अपर समाहर्ता दरभंगा के न्यायालय में एक मुकदमा दायर कराया गया था जिसका नंबर 54/1967-68 है। खाता संख्या 321, खेसरा संख्या 438, रकबा 10 बिगहा, 10 कट्ठा 18 धुर एवं खाता संख्या 293, रकबा 17 कट्ठा की जांच स्वयं अपर समाहर्ता द्वारा की गयी जिसमें उन्होंने भूमी को कब्रिस्तान पाया था। उन्होंने पूरी जमीन खेसरा नंबर 438 को कब्रिस्तान मानते हुए फौजी राम भीषण राय की बंदोबस्ती को खारिज कर दिया था। अपर समाहर्ता दरभंगा ने 16-06-1967 को आदेश दिया कि सम्पूर्ण भूमि सखुआ कब्रिस्तान की है। उसके बाद 1970 में सखुआ कब्रिस्तान पर धारा 144 लगा दिया गया था। इसमें भी मुकदमा चला और 22.08.1979 को जिला मजिस्ट्रेट मधुबनी द्वारा आदेश दिया गया कि पूरी जमीन कब्रिस्तान की है। अब एक बार फिर से इस जमीन पर कुछ लोगों की नियत खराब हो गई है। मुस्लिमों से इसे छीनकर गलत तरीके से स्कूल और हॉस्टल बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से निर्माण कार्य कराने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। कारवां के अध्यक्ष नजरे आलम ने जब वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो उन लोगों ने बताया के इसमें कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेता शामिल हैं। यहां हिंदू-मुसलमान का कोई सवाल नहीं है और यह भी सच है कि नरहिया के लोग सदियों से भाईचारे के साथ रहते आये हैं। हिंदू भाइयों ने भी साफ शब्दों में कहा है कि इस जमीन पर सदियों से मुसलमानों का कब्जा रहा है और लोग अपने मृतकों को दफनाते रहे हैं।
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