भारत के चंद्रयान को कॉपी करने निकला पाकिस्तान, चीन संग लॉन्च किया मून मिशन

मगर हो गया खेला
भारत के चंद्रयान को कॉपी करने निकला पाकिस्तान, चीन संग लॉन्च किया मून मिशन

चांग'ई-6 मिशन को चंद्रमा के रहस्यमय सुदूर हिस्से से सैंपल एकत्र करने और फिर पृथ्वी पर वापस लाने का काम सौंपा गया है। मालूम हो कि मानव मून रिसर्च के इतिहास में अपनी तरह का यह पहला प्रयास है।

New Delhi. चीन ने शुक्रवार को अपने मून रिसर्च मिशन चांग'ई-6 यान को लॉन्च कर दिया। स्थानीय समयानुसार, इसका प्रक्षेपण आज शाम 05:27 बजे किया गया। चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) की ओर से यह जानकारी दी गई। इसके मुताबिक, चांग'ई-6 मिशन को चंद्रमा के रहस्यमय सुदूर हिस्से से सैंपल एकत्र करने और फिर पृथ्वी पर वापस लाने का काम सौंपा गया है। मानव मून रिसर्च के इतिहास में अपनी तरह का यह पहला प्रयास है। खास बात यह भी है कि इस चीनी यान के साथ पाकिस्तान ने भी अपना उपग्रह भेजा है। पाकिस्तानी सरकार भले ही बीजिंग संग मिलकर भारत के चंद्रयान-3 मिशन को कॉपी करना चाहती हो, मगर उसके साथ खेला हो गया है। आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तानी ही इसका विरोध करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी ओर से कहा गया कि हमें पहले रोटी चाहिए, मून मिशन से क्या होगा।

सीएनएसए ने कहा कि लॉन्ग मार्च-5 वाई8 रॉकेट, चांग'ई-6 को ले जाएगा। चांग'ई-6 अंतरिक्ष यान में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक आरोही और एक रिटर्नर शामिल है। यान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकसित 4 पेलोड ले जाएगा। फ्रांस, इटली और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिक उपकरण चांग'ई-6 लैंडर पर हैं, जबकि पाकिस्तान का एक छोटा उपग्रह ऑर्बिटर पर है। 12 देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 50 मेहमानों को चांग'ई-6 की ओर से ले जाए गए अंतरराष्ट्रीय पेलोड पर केंद्रित कार्यशाला में भाग लेने और हैनान में लॉन्च का गवाह बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।

चांग'ई-6 यान का क्या है मकसद 
अपोलो बेसिन के रूप में जाना जाने वाले प्रभाव क्रेटर को चांग'ई-6 मिशन के लिए प्राथमिक लक्ष्य लैंडिंग और सैंपल स्थल के रूप में चुना गया है, जो कि चंद्रमा के दूर की ओर दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन के भीतर स्थित है। अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर पहुंचने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। लैंडिंग के 48 घंटों के भीतर चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी को निकालने के लिए रोबोटिक हाथ बढ़ाया जाएगा, जबकि जमीन में छेद करने के लिए ड्रिल का इस्तेमाल किया जाएगा। वैज्ञानिक ढंग से पता लगाने का काम साथ-साथ किया जाएगा। नमूनों को कंटेनर में सील करने के बाद आरोही चंद्रमा से उड़ान भरेगा और चंद्र कक्षा में ऑर्बिटर के साथ डॉक करेगा। सीएनएसए ने कहा कि पूरा मिशन लगभग 53 दिनों तक चलने की उम्मीद है।

Tags:

Post Comment

Comment List

Latest News

ब्रिटेन चुनाव में भारतीयों का बोलबाला, इस बार रिकॉर्डतोड़ बन सकते हैं सांसद ब्रिटेन चुनाव में भारतीयों का बोलबाला, इस बार रिकॉर्डतोड़ बन सकते हैं सांसद
Indian Origin Candidates in UK Election 2024: इस बार ब्रिटेन में चुनाव परिणाम इतिहास रच सकते हैं। भारतीय मूल के...
हेमंत होंगे झारखंड के नए मुख्यमंत्री
'मृत बेटी को कर दूंगा जिंदा..' 23 साल पहले गिरफ्तार हुआ था हाथरस सत्संग वाला बाबा
जॉब & एजुकेशन बुलेटिन:पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन में इंजीनियर ट्रेनी की वैकेंसी
मध्‍य प्रदेश में खुलेंगे 3 नए मेडिकल कॉलेज : बजट में शिक्षा को मिले 22,600 करोड़; 22 नए ITI
बिहार के शेखपुरा में एक्सिस बैंक से 10 मिनट में 28 लाख की लूट
स्मार्ट मीटर लगते ही आया 64 लाख का बिल, महिला का भी चकरा गया सिर