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पूर्वोत्तर में बनाने होंगे 50 बड़े तालाब, ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को मोड़ना जरूरी
क्या है अमित शाह का प्लान
गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल लिए गए निर्णयों पर हुई कार्रवाई की समीक्षा की। इसके साथ ही सभी एजेंसियों की ओर से अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों और उनके नेटवर्क के विस्तार पर भी चर्चा हुई।
New Delhi. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में बाढ़ आने की स्थिति में उससे निपटने की तैयारियों की रविवार को समीक्षा की। इस दौरान शाह ने कहा कि जो नदियां बारहमासी नहीं हैं, उनमें मिट्टी का कटाव अधिक होता है और गाद जमना बाढ़ का कारण बन जाता है। उन्होंने निर्देश दिया कि नदियों के जलस्तर के पूर्वानुमान को अपग्रेड कर बाढ़ की समस्या को कम करने के प्रयास हों। बाढ़ की स्थिति में जलजमाव से निपटने के लिए सड़क निर्माण के डिजाइन में ही प्राकृतिक जलनिकासी को शामिल किया जाना चाहिए। शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर में कम से कम 50 बड़े तालाब बनाकर ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को मोड़ने की व्यवस्था होनी चाहिए जिससे बाढ़ से निजात मिले और कृषि, सिंचाई व पर्यटन विकसित हों। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिलेगा।
अमित शाह ने पिछले साल लिए गए निर्णयों पर हुई कार्रवाई की समीक्षा की। इसके साथ ही सभी एजेंसियों की ओर से अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों और उनके नेटवर्क के विस्तार पर भी चर्चा हुई। उन्होंने बादल फटने से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही बाढ़ नियंत्रण के लिए ISRO की ओर से उपलब्ध कराए गए चित्रों के विभिन्न एजेंसियों के अधिकतम इस्तेमाल पर भी बल दिया गया। गृह मंत्री ने कहा कि भारत का आपदा प्रबंधन जीरो कैजुअल्टी अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को बाढ़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी परामर्श को समय पर लागू करने की अपील की।
गृह मंत्री ने मौसम विभाग और केंद्रीय जल आयोग को निर्देश दिया कि वर्षा और बाढ़ चेतावनी में उपयोग होने वाले उपकरणों की जांच होनी चाहिए। शाह ने सिक्किम और मणिपुर में हाल ही में आई बाढ़ का विस्तृत अध्यन कर गृह मंत्रालय को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि देश के सभी प्रमुख बांधों के फ्लडगेट्स सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं। केंद्रीय जल आयोग के बाढ़ निरीक्षण केंद्र आवश्यकता के अनुरूप और अंतरराष्ट्रीय स्तर के होने चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और पर्यावरण मंत्रालय को आग लगने से पहले ही इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समुचित एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए। गृह मंत्री ने इसके लिए नियमित रूप से फायरलाइन बनाने, सूखे पत्तों को हटाने और स्थानीय निवासियों और वनकर्मियों के साथ समय-समय पर मॉक ड्रिल करने की ज़रूरत पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने एक ही स्थान पर बार-बार आग लगने की घटनाओं का विश्लेषण करने को भी कहा। गृह मंत्री ने एनडीएमए को जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं से निपटने के लिए विस्तृत मैनुअल तैयार करने को भी कहा।
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