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Bihar: जमुई से गया भेजी जा रही उखड़ती सांसों को जीवन दान देने वाली मशीन
सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की कवायद
पहली व दूसरी लहर में जिले में 93 मरीजों की सांसें थमने के बावजूद आलम यह है कि एक साल में भी विभाग को मशीन चलाने के लिए दक्ष चिकित्सक नहीं मिल सका। हद यह कि किसी चिकित्सक को प्रशिक्षण देकर दक्ष भी नहीं बनाया गया।
जमुई। सरकार व स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की कवायद के बीच जिले से आधा दर्जन वेंटिलेटर मशीन को अन्यत्र भेजने की तैयारी की जा रही है। पहली व दूसरी लहर में जिले में 93 मरीजों की सांसें थमने के बावजूद आलम यह है कि एक साल में भी विभाग को मशीन चलाने के लिए दक्ष चिकित्सक नहीं मिल सका। हद यह कि किसी चिकित्सक को प्रशिक्षण देकर दक्ष भी नहीं बनाया गया।
अब वेंटिलेटर मशीनों को गया स्थित अनुग्रह नारायण मेडिकल कालेज भेजने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति ने निर्देश जारी कर दिया है। लिहाजा, स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार के बीच व्यवस्थागत कमी का दंश जिलेवासियों को झेलनी पड़ेगी। वेंटिलेटर मशीन के लिए लोगों को दूसरे शहर की दौड़ लगानी पड़ेगी।
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पीएम केयर से मिला था वेंटिलेटर मशीन
कोरोना की पहली लहर में पीएम केयर से जुलाई माह में जिले को छह वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध कराई गईं थीं ताकि उखड़ती सांसों को सहारा मिल सके। जीवन दान मिल सके। छह वेंटिलेटर मशीन में चार को स्टाल भी कर दिया गया। लेकिन तकनीकी कमी के कारण इसका उपयोग नहीं हो सका।
एक साल से फांक रहीं धूल
स्वास्थ्य विभाग के गोदाम में एक साल से वेंटिलेटर मशीन धूल फांक रहीं हैं। जानकार इसे जिले के लिए दुर्भाग्य मानते हैं। स्वास्थ्य के जानकार बताते हैं कि छह महीने की कोर्स कर कोई भी चिकित्सक वेंटिलेटर मशीन आपरेट करने में दक्ष हो सकता है। निजी अस्पतालों में इसका खूब उपयोग होता है और मोटी रकम भी वसूली जाती है। ङ्क्षकतु सरकारी अस्पताल को व्यवस्था नहीं मिल पा रहा है।
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'राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा वेंटिलेटर मशीन को अनुग्रह नारायण मेडिकल कालेज गया को भेजने का आदेश दिया गया है। भेजने की तैयारी की जा रही है। तकनीकी क्षमता के अभाव में यहां वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो पा रहा है।'
- सुधांशु नारायण लाल, डीपीएम
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