सराईपाली सीएचओ ने प्रेमी के साथ मिलकर रची थी खुद के अपहरण की साजिश

अपहरण कांड का हुआ पर्दाफाश

सक्ती। सरायपाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सीएचओ के सनसनीखेज अपहरण के बाद पुलिस अधीक्षिका सुश्री अंकिता शर्मा के दिशा निर्देशन में गठिम टीम द्वारा उसके प्रेमी के साथ उसे सकुशल बरामद कर लिया गया। बताया जाता है सीएचओ ने अपने प्रेमी से विवाह करने के लिए कूटरचना करते हुए षड्यंत्रपूर्वक अपहरण की साजिश रची, लेकिन ‘कानून के हाथ लंबे होते हैं...’ एक न एक दिन अपराधी इसकी गिरफ्त में आ ही जाता है और हुआ भी कुछ ऐसा ही...सक्ती पुलिस ने एसपी अंकिता शर्मा के मार्गदर्शन में उक्त अपहरणकांड का पर्दाफाश कर डाला।

मिली जानकारी के अनुसार सक्ती के चौपाटी के पास सराईपाली सीएचओ अनुपमा जलतारे, 26 वर्ष का अपहरण किए जाने की सूचना उसके पिता रामनाथ जलतारे निवासी चिस्दा ने लिखित में सक्ती थाने में दर्ज कराई थी। एसपी अंकिता शर्मा के दिशा निर्देशन में गठित टीम ने साइबर टीम की मदद से सीएचओ अनुपमा जलतारे को उसके पेे्रमी महेन्द्र जांगड़े के साथ देवनंदन नगर सरकंडा बिलासपुर के होटल स्वर्णभूमि से बरामद कर लिया। महेन्द्र जांगड़े एनटीपीसी कोरबा में सेफ्टी डिपार्टमेंट में ठेका इंजीनियर है। होटल स्वर्णभूमि से दोनों आरोपियों के मोबाइल के साथ-साथ नीले सफेद रंग की टी व्ही एस अपाचे बाईक क्रमांक सी. जी 28 एल 01497 को जब्त कर लिया गया है। 
विवेचना के दौरान आरोपियों ने पुलिस को बताया कि अनुपमा ने महेन्द्र जांगडे को कोरबा से सक्ती चौपाटी के पास बुलाया और मौके पर अपने छोटे भाई डेगम्बर के साथ फल खरीदने पहुंच गई। कुछ देर बाद उसने अपने भाई को पानी लेने भेज दिया और महेन्द्र के साथ उसकी अपाचे बाइक में बैठकर बाराद्वार होते हुए बिलासपुर पहुंच गई।  बिलासपुर पहुंचने के बाद दोनों देवनंदन नगर सरकंडा के होटल स्वर्णभूमि में रूक गए। इसके बाद अनुपमा के मोबाइल से उसके प्रेमी महेन्द्र ने अनुपमा के छोटे भाई डेगम्बर को कॉल किया और अपहरण की बात कहते हुए 15 लाख रूपये की फिरौती मांगी। निर्धारित समयावधि बीतने पर गाली गलौच करते हुए अनुपमा को जान से मारने की धमकी भी दी। पुलिस विवेचना के दौरान अनुपमा ने बताया कि उसे पता था कि उसके परिजन इतनी बड़ी रकम चुकाने में सक्षम नहीं है, इसलिए विधिवत प्लानिंग करते हुए उसने यह कूटरचना की । उसने आगे बताया कि उसकी प्लानिंग के मुताबिक वह महेन्द्र के साथ घर लौटकर परिजनों को बताती कि महेन्द्र ने ही फिरौती की रकम देकर उसकी जान बचाई है, अत: उससे अधिक उपयुक्त जीवनसाथी उसके लिए कोई नहीं हो सकता, लेकिन इससे पहले कि आरोपीगण अपने षड्यंत्र को पूरा करने में सफल हो पाते, हमेशा की तरह समय से पहले कानून के लंबे हाथ उनके गिरेबां तक पहुंच गए। दोनों को विधिवत गिरफ्तार कर लिया गया। सक्ती पुलिस ने प्रकरण में धारा 120 (बी), 384 भादवि भी जोडक़र कार्यवाही की है।  

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