यूजीसी नेट परीक्षा रद्द होने के बाद CBI ने दर्ज की पहली FIR

डार्कनेट पर लीक हुआ था पेपर

यूजीसी नेट की परीक्षा रद्द होने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को पहला ऐक्शन लिया है। जांच एजेंसी ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

New Delhi. यूजीसी नेट परीक्षा रद्द होने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को मामले की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में सीबीआई ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज की। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण यूनिट से मिले इनपुट के आधार पर यूजीसी-नेट परीक्षा को स्वत: संज्ञान लेते हुए रद्द कर दिया। सरकार ने परीक्षा की शुचिता से समझौता किए जाने की आशंका जताई थी। साथ ही मामले को सीबीआई जांच के लिए भी सौंप दिया गया था। सरकार ने बताया है कि पेपर डार्कनेट पर लीक हुआ था।

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने गुरुवार को शिक्षा सचिव के संजय मूर्ति की शिकायत पर 'अज्ञात व्यक्तियों' के खिलाफ एफआईआर दर्ज की और जांच अपनी एंटी करप्शन ब्रांच, दिल्ली यूनिट को सौंप दी। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा, "सीबीआई ने (गुरुवार को) शिक्षा विभाग के सचिव से प्राप्त शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी (धोखाधड़ी), 420 (आपराधिक साजिश) के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।" शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 19 जून को यूजीसी को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण यूनिट से इनपुट मिले थे कि यूजीसी नेट-2024 परीक्षा की सत्यनिष्ठा संदिग्ध है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी गुरुवार को नीट परीक्षा को लेकर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी नेट एग्जाम रद्द किए जाने पर जवाब दिया था। उन्होंने खुलासा किया कि डार्कनेट पर नेट का पेपर लीक किया गया था। यूजीसी ने नेट की परीक्षा का आयोजन बुधवार को किया था, जिसमें लाखों उम्मीदवार शामिल हुए थे। यूजीसी-नेट परीक्षा हर साल जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है, ताकि जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए भारतीय नागरिकों की पात्रता निर्धारित की जा सके।

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