स्पीच देने जा रहे थे CJI चंद्रचूड़, तभी ब्रिटिश कोर्ट के प्रेसिडेंट ने ऑफर कर दिया कुछ ऐसा

जानकर हो जाएंगे हैरान!

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट के प्रेसिडेंट लॉर्ड रीड ने सीजेआई चंद्रचूड़ को तब अपनी सीट ऑफर की, जब वे वहां 'वाणिज्यिक मध्यस्थता: ब्रिटेन और भारत में साझा समझ और विकास' के विषय पर लेक्चर देने गए थे।

CJI Chandrachud: प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में काफी सम्मान मिलता है। ब्रिटेन में एक ऐसी घटना देखने को मिली, जिसने सभी को हैरान कर दिया। दरअसल, ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के प्रेसिडेंट ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को भाषण देने के लिए अपनी सीट तक ऑफर कर दी। सीजेआई चंद्रचूड़ के प्रति वहां की सुप्रीम कोर्ट के प्रेसिडेंट ने विशेष सम्मान दिखाया। 

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट के प्रेसिडेंट लॉर्ड रीड ने सीजेआई चंद्रचूड़ को तब अपनी सीट ऑफर की, जब वे वहां 'वाणिज्यिक मध्यस्थता: ब्रिटेन और भारत में साझा समझ और विकास' के विषय पर लेक्चर देने गए थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्यक्रम ब्रिटेन की कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट के कोर्टरूम में आयोजित किया गया था। अपनी स्पीच के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने भारतीय न्यायपालिका की जमकर तारीफ की।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कार्यक्रम में कहा कि साल 2023 में हाई कोर्ट द्वारा 21.5 लाख से ज्यादा मामलों और जिला न्यायालयों द्वारा 4.47 करोड़ मामलों का निपटारा किए जाने के बावजूद भारत की अदालतों पर अत्यधिक बोझ है। ये आंकड़े भारत के लोगों का अपनी न्यायपालिका पर भरोसा दर्शाते हैं। हमारी न्यायपालिका इस मंत्र पर काम करती है कि कोई मामला छोटा या बड़ा नहीं है। अदालतों का दरवाजा खटखटाने वाले हर पीड़ित व्यक्ति को राहत पाने का अधिकार है।'' उन्होंने कहा, ''भारत में न्यायालय अपना संवैधानिक दायित्व निभाते हैं। लेकिन निश्चित रूप से हर मामले को न्यायालय में लाकर समाधान ढूंढने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मध्यस्थता विवाद समाधान के उभरते तरीके के रूप में स्वीकार्य हो रहे हैं।''

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हाल के वर्षों में, भारत में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना की गई तथा उनमें मध्यस्थता के मामलों का आना क्रमिक रूप से बढ़ा है। उन्होंने कहा, ''लेकिन केवल संस्थान स्थापित करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि ये संस्थान खुद को बनाये रखने वाले समूह द्वारा नियंत्रित नहीं हों। ये संस्थान अवश्य ही पेशेवर कार्य प्रणाली और निरंतर मध्यस्थता प्रक्रियाएं उत्पन्न करने की क्षमता पर आधारित होने चाहिए।'' मध्यस्थता प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रौद्योगिकी मध्यस्थता कार्यवाही में एक बड़ी भूमिका निभाती है और यह किफायती एवं समय पर समाधान मुहैया कराती है। 

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